Saturday, December 21, 2024

सुविधा के नाम पर सरकारी हस्पताल का है बुरा हाल

(प्रथम न्यूज़ जालंधर गगन मलिक) आज जब सरकार हमें मुफत मेडिकल सुविधा देने का वादा करती है वही अगर देखा जाये तो सरकारी हस्पतालो मैं सुविधा के नाम पर आम आदमी की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है

जालंधर के सरकारी हस्पताल मैं जो दवाई डॉक्टर लिख के देते है वो वह के सरकारी दवाखाने मैं मिलती ही नहीं है और मज़बूरी मैं मरीज़ के घर वालो को बहार जा कर निजी दवाखाने से M R P रेट पर लानी पड़ती है जैसे की

एक बच्चो के पेट के लिए सिरप DroTin मरीज़ के घर वालो को लिख कर दिया गया मगर वो हस्पताल की दवा की दुकान पर है ही नहीं और मज़बूरी मैं मरीज़ के घर वालो को वो बाहर निजी दवाखाने से लाना पड़ा उसके बाद बात करते है जन ओषधि दवाखाने की वो तो बंद ही रहता है जो की सिविल हस्पताल जालंधर के गेट के पास है तब इस हालत मैं कोई गरीब अपने घरवालों का इलाज़ कैसे करवा पाएगा | महंगाई की मार से पहले से ही गरीब जनता परेशान है |

ऊपर से सरकारी हस्पतालो का बुरा हाल है | आगे बात करे तो कहने के नाम पर सरकारी हस्पतालो मैं सभी टेस्ट कम खर्चे पर किये जाते है मगर जब डॉक्टर मरीज़ को कोई भी टेस्ट लिख कर दे तो ज्यादातर टेस्ट सरकारी

लबोर्टोरी मैं होते ही नहीं है जैसे की एक बच्चे मरीज़ हरजोत को डॉक्टर ने टेस्ट लिखे एच बी एल्क्ट्रो/ शोरेसिक और S आयरन ये भी सरकारी हस्पताल मैं नहीं होते इस बब्ब्त हमने सरकारी लबोरटरी डॉक्टर रुपिंदर कौर मेडिकल अफसर से बात की तो वो बोली की हमारी मशीन कई दिन से ख़राब है हम ठीक करवाने की शिकायत कई बार कर चुके है मगर अभी तक ठीक नहीं हुई आप नीचे कृष्णा लबोरटरी से जा के करवा लीजिये फिर हम अब कृष्णा लबोरटरी मैं गए तो वह भी ये टेस्ट नहीं होआ मज़बूरी मे मरीज के घर वालो को बाहर के निजी लबोरटरी से 1400 मैं टेस्ट करवाना पाडा इसका मतलब है की सरकारी डॉक्टर और सरकारी लबोरटरी सब निजी दवाखाने और निजी लबोर्ट्री से मिले हुए है और सब फायदा निजी दवाखानो और लबोर्ट्री को पंहुचा रहे है | ऐसी कृष्णा लबोर्ट्री को खोलने का क्या फायदा जहा पर टेस्ट ही नहीं हो पाते | हमने उसके बाद बच्चा वार्ड मैं घूम के देखा तो वार्ड मैं मेडिकल गैस अलार्म की पावर सप्लाई उतरी हुई है लग भाग सारी मेडिकल पावर सप्लाई अलार्म बंद पड़े है कब तक इसी तरह जिंदिगियो से खिलवाड़ होता रहेगा ओर कब तक आम जनता गरीब आदमी परेशां होता रहे गा | जब भी चुनावों का समय आता है तब बाड़े बाड़े वादे होते है मगर जैसे ही सत्ता बन जाती है सब भूल जाते है | मेडिकल के नाम पर सरकारी हस्पताल आज भी बहुत पीछे है जरा सी देर किसी की जिंदिगी छीन सकती है

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