डीसीपी नरेश डोगरा को कोर्ट ने जारी किया सम्मन, हो सकती है गिरफ्तारी
- मामला पुलिस अकादमी के कमांडेंट नरेश डोगरा अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर होटल पर कब्जे की कोशिश
जालंधर 17, सितंबर (शैली अल्बर्ट): होशियारपुर के बहुचर्चित होटल के मामले में जालंधर के DCP पर लटकी तलवार। होशियारपुर के बहुचर्चित होटल रॉयल प्लाजा मामले में तब बड़ा धमाका हुआ जब होशियारपुर की एक अदालत ने विवादास्पद पुलिस अधिकारी और जालंधर के मौजूदा डीसीपी नरेश डोगरा और उसके करीबी साथियों को इरादा कतल की धारा 307 के तहत तलब किया गया है और इसके बाद अब नरेश डोगरा पर ग्रिफतारी की तलवार लटक गई है । गौरतलब है कि साल 2019 में होटल रॉयल प्लाजा में मारपीट हुई थी जिसमें नरेश डोगरा का नाम सामने आया था । अदालत द्वारा दिए गए फैसले के संदर्भ में यह खुलासा हुआ है कि 03 जनवरी 2019 को होटल के मालिक विश्वनाथ बंटी को रात करीब सवा नौ बजे होटल से एक फोन आया , जिसमें होटल के मैनेजर ने बताया कि उस समय फिल्लौर पुलिस अकादमी में तैनात कमांडेंट नरेश डोगरा अपने साथियों सहित जिनमे होटल का एक अन्य पाटनर विवेक कोंशल , नायब तहसीलदार मंजीत सिंह , शिवी डोगरा , हरनाम सिंह उर्फ हरमन सिंह सहित करीब 10-15 अज्ञात शामिल हैं और यह लोग होटल पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं । इसके बाद उसी समय विश्वनाथ बंटी , अजय राणा , नवाब हुसैन और बाबू के साथ होटल पहुंचे और जब उन्होंने नरेश डोगरा से इस बारे में बात करनी चाही , तो उन्होंने विशवानाथ बंटी पर हमला कर दिया और इसी बीच नरेश डोगरा , विवेक कौशल और मनजीत सिंह लड़ाई में ललकारे मारे और कहा कि आज बंटी को मारना है , और इसी समय हरनाम सिंह ने बंटी की तरफ एक रिवॉल्वर से गोली चलाई , जो अजय राणा की जांघ में लगी और पार हो गई , जबकि नवाब हुसैन गंभीर रूप से घायल हो गया । अदालत के आदेश में यह भी कहा गया कि जब अजय राणा को गंभीर हालत में होशियारपुर के सिविल अस्पताल ले जाने का प्रयास किया गया तो पता चला कि नरेश डोगरा और उसके साथी पहले ही सिविल अस्पताल होशियारपुर पहुंच चुके थे और इस बीच अजय राणा , नवाब हुसैन को जालंधर के जोहल अस्पताल में ले जाया गया और वहा पर 6 जनवरी तक उसका इलाज चला और बाद में अजय राणा को होशियारपुर के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया । पुलिस द्वारा की गई एकतरफा कार्रवाई होशियारपुर के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट रूपिंदर सिंह द्वारा 14 सितंबर 2022 को दिए गए फैसले की कापी 15 सितंबर को अपलोड की गई है , जिससे खुलासा हुआ है कि होशियारपुर पुलिस ने इस मामले में एकतरफा कार्रवाई की है और कहा गया है कि नरेश डोंगरा जो उस समय एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी था ने विशवानाथ बंटी और उनके साथियों को मुलजिम बनाने के लिए अपने पद का इस्तेमाल किया था । जिसके बाद विश्वनाथ बंटी , अजय राणा , नवाब हुसैन और कई अन्य लोगों पर आईपीसी की धारा 307 , 323 , 341 , 379 – बी , 186, 353, 332, 427 , 148, 149, 120 – बी व 25/27/54/59 , आमर्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था । जबकि विश्वनाथ बंटी गुट की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत पर आईपीसी की धारा 323 , 506 , 149 , आई.पी.सी. सिर्फ थाने के रोजनामचे में सिर्फ डीडीआर ही काटी गई थी । दायर करनी पड़ी थी सिविल कंपलेट पुलिस ने जब इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की तो नवाब हुसैन की ओर से उनके वकील एचएस सैनी , एडवोकेट नवीन जैरथ और एडवोकेट गुरवीर सिंह चौटाला की ओर से कोर्ट में सिवल शिकायत दर्ज कराई गई , जिसकी सुनवाई करीब तीन साल तक चली , हालांकि कोविड के कारण , सुनवाई में लगभग एक साल की देरी हुई और अदालत ने अब मामले की गंभीरता को देखते हुए जालंधर में तैनात डीसीपी नरेश डोगरा , होटल रॉयल प्लाजा के पार्टनर विवेक कौशल , नायब तहसीलदार ( सेवानिवृत्त ) मंजीत सिंह , शिवी डोगरा और हरनाम सिंह उर्फ हरमन सिंह को आईपीसी की धारा 307, 506, 341, 447, 323, 148, 149, 25/27/54/59 आमर्स एक्ट के तहत संमन जारी करते हुए 15 नवंबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है । डोगरा पर लटकी ग्रिफतारी की तलवार इस मामले में कोर्ट के फैसले के बाद डीसीपी नरेश डोगरा, विवेक कौशल , शिवी डोगरा, मंजीत सिंह और हरनाम सिंह उर्फ हरमन सिंह को 15 नवंबर से पहले हाईकोर्ट से जमानत लेनी पड़ेगी, चूंकि मामला 307 का है , इसलिए इस मामले में अग्रिम जमानत मिल पाना इतना आसान नहीं है क्योंकि गोली और 307 के मामले में अदालतें हमेशा सखत रुख अपनाती हैं । गौरतलब है कि जब पुलिस किसी मामले की सुनवाई नहीं करती है तो पीडित के पास सीधे अदालत जाने का विकल्प होता है और इन्हीं विकल्पों के तहत मामला यहां तक पहुंचा है।