गुड़िया रेप और मर्डर केस की सुनवाई से अलग हुए जस्टिस तरलोक, दोबारा जांच की याचिका पर विचार अभी नहीं
शिमला (फकीरचंद भगत)
श्मशानघाट में ट्यूबवेल न होने से लोग मजबूरन दरिया की और रुख करते हैं। अब लोग 30 फुट गहरे दरिया में उरतने को विवश हैं। वहीं कंडी वेट विकास मंच, ब्लाक विकास संघर्ष कमेटी व अनेकों संगठन घरोटा में दरिया पर घाट निर्माण को उच्चधिकारियों से गुहार लगाई हैै ताकि कस्बा वासियों की समस्या का समाधान हो सके। उधर सिचाई विभाग के एसडीओ पी कुमार से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि मामला ध्यान में आ गया है। वह इसका केस बनाकर भेजेंगे और फंड मिलते ही कार्य को अमली रूप देंगे।बता दें कि कोटखाई की दसवीं की छात्रा का शव 6 जुलाई 2017 को दांदी जंगल से बरामद किया गया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया था कि उसकी रेप के बाद हत्या की गई है। इस केस की जांच पहले पुलिस की SIT कर रही थी। तत्कालीन IG जहूर जैदी की अध्यक्षता में गठित SIT ने रेप-मर्डर के आरोप में एक स्थानीय युवक सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें से एक नेपाली युवक सूरज की कोटखाई थाने में पुलिस हिरासत के दौरान संदिग्ध मौत हो गई थी। उधर, जब इस मामले में न्याय की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए और हिमाचल प्रदेश में कई जगह उग्र प्रदर्शन हुए तो यह केस CBI के हवाले कर दिया गया था। CBI ने ही इस मामले का खुलासा किया था। CBI ने गुड़िया रेप-मर्डर और सूरज हत्याकांड में दो अलग-अलग मामले दर्ज किए। सूरज हत्याकांड में IG जैदी सहित नौ पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया और इनके खिलाफ कोर्ट में चालान भी पेश किया गया।
जिला अदालत ने 11 मई रखी थी सजा के ऐलान की तारीख
हाल ही में 28 अप्रैल को इस बहुचर्चित केस में शिमला जिला अदालत में विशेष न्यायाधीश राजीव भारद्वाज की अदालत ने ने 28 वर्षीय अनिल कुमार उर्फ नीलू उर्फ चरानी नामक युवक को दोषी करार दिया है। धारा 372 (2) (I) और 376 (A) के तहत बलात्कार का दोषी माना। साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत उसे हत्या और धारा 4 में दमनकारी यौन हमला करने की सजा का पात्र माना। पीड़िता नाबालिग थी, इसलिए POCSO के तहत भी दोषी माना। सजा का ऐलान करने के लिए कोर्ट ने 11 मई की तारीख दी है। इसी बीच संबंधित पक्ष ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके CBI की जांच में खामियां बताई हैं और इस मामले की जांच दोबारा करवाने की मांग की है। शुक्रवार को हाईकोर्ट में न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश CB बारोवालिया की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। इस दौरान जस्टिस तरलोक सिंह चौहान ने खुद को सुनवाई वाले बैंच से अलग कर लिया है। इसके बाद दायर याचिका पर सुनवाई फिलहाल टल गई है।