कोरोना गाइडलाइन्स ठेंगा – न मास्क , न सोशल डिस्टेंसिंग
— सरकार चलाने वाले नुमाइंदे ही कोरोना गाइडलाइंस की उड़ा रहे धज्जियां
— कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए जहा सरकार ने 15 जनवरी से 25 जनवरी तक पाबंदियां लगाई है वही राज नेताओं द्वारा खुद ही प्रोटोकॉल का उलंघन कर रही हैं।
जालंधर, 16 जनवरी (शैली अल्बर्ट): जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा हैं राजनीतिक लोग इधर से उधर होते जा रहे है। जहां पार्टी के कई बढ़े नेता पार्टी विरोधी नीतियों से निराश होकर पार्टी को अलविदा कह रहे है तो वही नेताओं के इधर उधर जाने से वोट बैंक को बढ़ा फ़र्क़ पड़ेगा।
जालंधर नार्थ इलाक़े के पिछले चुनावों में बावा हैनरी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले आम आदमीं पार्टी के विधायक पद के दावेदार जोगिंदर शर्मा ( जो टिकट न मिलने से आम आदमी पार्टी से नाराज हैं) को कांग्रेस में शामिल करने के लिए चुनाव आयोग की गाईड लाइंस की खूब धज्जियां उड़ाई गई। मानों ऐसा लग रहा था कि चुनाव आयोग उनके सामने कुछ नही ।
वही बता दें कि जालंधर में कोरोना लगातार अपना पैर पसार रहा हैं। लेकिन इन राजनेताओं को कोई परवा नहीं। आम लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करना इनका पेशा बन गया है। चुनाव के लिए किसी हद तक भी जा सकते है चाहे किसी आम लोगों की जिंदगी खतरे में ही क्यों न पड़ जाए।
अगर किसी आम आदमी द्वारा सरकारी गाइडलाइंस का उलंघन किया होता तो शायद उस पर कई पाबंदी लगाई जाती , पर यहां राजनीतिक दलों का सवाल है जहा देश का कानून भी लाचार नजर आता है।
आम लोग यही कहता है कि हम भारत में रहते हैं जहा सब के लिए एक संविधान हैं पर वो सिर्फ किताबों तक सीमित है। एक संविधान होते हुए भी आम नागरिकों को न्याय नहीं मिलता।
क्या चुनाव आयोग की कथनी और करनी में अंतर हैं? जब राजनीतिक पार्टियां आयोग की गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाते हैं तो चुनाव आयोग क्या करती हैं?