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लखनऊ18 मिनट पहले
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उत्तर प्रदेश में योगी सरकार चार साल पूरे होने पर 9 मुद्दों पर अपनी उपलब्धियों को गिना रही है। इसमें आंकड़ों के साथ बताया जा रहा है कि चार सालों में कानून व्यवस्था, किसान की हालत, बुनियादी सुविधाओं, शिक्षा की स्थिति, स्वास्थ्य सेवाओं, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, महिला सुरक्षा, जरूरतमंदों की सरकार तक पहुंच, रोजगार और आस्था के सम्मान के मामलों में प्रदेश की हालत सुधरी है।
सरकार का सबसे बड़ा दावा है कि प्रदेश तेजी से विकास की राह पर है। जबकि मार्च 2017 में योगी सरकार के आने के बाद से चार सालों में वृद्धि दर में लगातार गिरावट हुई। वित्त वर्ष 2017-18 में यह 7.24%, 2018-19 में 5.33%, 2018-19 में 4.38% और 2019-20 में 2.5% पर पहुंच गई। यानी चार साल में प्रदेश की वृद्धि दर में 65% की गिरावट हुई है। इससे पहले वृद्धि दर (GSDP) 2015-16 में 8.85% और 2016-17 में 10.87% की दर से बढ़ी थी।
इसी तरह योगी सरकार का दावा है कि वह बेरोजगारी दर को 17.5% से घटाकर 4.1% ले आई। लेकिन सपा सरकार के कार्यकाल के आखिरी वित्त वर्ष 2016-17 में औसत बेरोजगारी दर 10.28% थी। अगस्त 2016 में उत्तर प्रदेश की बेरोजगारी दर भले 17.1% थी, लेकिन जब मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ ने यूपी की सत्ता संभाली, तब बेरोजगारी दर महज 2.4% थी। इसीलिए योगी सरकार के दावों पर सवाल उठ रहे हैं। यहां हम सरकार के पांच प्रमुख दावों और उन पर उठ रहे सवालों को बता रहे हैं-
बेरोजगारी घटाने के दावे में है गड़बड़ी
बेरोजगारी दर जो साल 2017 में 17.5% थी, वह मार्च 2021 में घटकर 4.1% हुई- जिस CMIE का आंकड़ा दिखाकर यह दावा किया जा रहा है, उसके मुताबिक योगी आदित्यनाथ के CM बनने के समय बेरोजगारी दर 2.4% थी और CMIE के मुताबिक साल 2017 में यह 17.5% नहीं रही।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में यूपी को दूसरे स्थान पर बताने वाली केंद्र सरकार की DPIIT (डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड) की प्रक्रिया की आलोचना हुई, क्योंकि यह रैंकिंग किसी डेटा पर आधारित होने के बजाय सिर्फ व्यापारियों के फीडबैक पर आधारित थी। इसी वजह से महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे सर्वाधिक बिजनेस वाले राज्य टॉप 10 से बाहर रहे। यहां तक कि गुजरात जैसा बिजनेस में अग्रणी राज्य सभी नियमों के पालन के बावजूद इस लिस्ट में 11वें नंबर पर रहा।
प्रति व्यक्ति आय दोगुनी होने के यूपी सरकार के दावे पर लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर यशवीर त्यागी ने कहा, ‘प्रति व्यक्ति आय के मामले में अब भी उत्तर प्रदेश का स्थान नीचे से दूसरा है।’ चार लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी देने का दावा भी योगी सरकार लंबे समय से कर रही है, लेकिन हाल ही में सरकारी नौकरी को लेकर जिस युवा दुर्गेश चौधरी का वीडियो उनके ट्विटर अकाउंट से सरकारी नौकरी के दावे को लेकर रीट्वीट किया गया था। वह गलत निकला। जिसके बाद उस ट्वीट को डिलीट करना पड़ा।
उत्तर प्रदेश में हर दो घंटे में सामने आता है एक रेप का मामला
2020 में जारी NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में हर दो घंटे में एक रेप का मामला सामने आता है। वहीं हर डेढ़ घंटे में बच्चों के खिलाफ अपराध का एक मामला सामने आता है। साल 2016 में यूपी में महिलाओं के प्रति कुल 49,262 अपराध दर्ज किए गए थे। 2017 में यूपी में महिलाओं के प्रति कुल 56,011 अपराध दर्ज किए गए। 2018 की सालाना अपराध रिपोर्ट के मुताबिक देश में उत्तर प्रदेश महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में नंबर 1 पर रहा। यहां इस कैटेगरी में 59,445 मामले दर्ज किए गए थे। राज्य में रेप के मामलों में सजा पाने वालों की संख्या 27% थी, जबकि 85% मामलों में ही पुलिस चार्जशीट फाइल कर पाती थी।

2019 में महिलाओं के प्रति अपराध के मामले और बढ़े और इनकी संख्या 59,853 हो गई। यह मामले देश के कुल मामलों के 14.7% थे। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में महिलाओं के प्रति अपराध बढ़े हैं। हालांकि अगस्त 2020 में यूपी सरकार ने अपनी ओर से अपराधों के आंकड़े जारी किए थे, जिसमें कहा गया था कि यूपी में अपराधों की दर पिछले 7 सालों में सबसे कम बताई गई थी।
यही वजह है कि यूपी के पूर्व CM अखिलेश यादव ने महिला सुरक्षा को एक बड़ा मुद्दा बनाया है। 2019 में सिर्फ उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ 3390 अपराधों का हवाला देते हुए उन्होंने BJP के एंटी रोमियो स्क्वायड, मिशन शक्ति, पिंक बूथ कैंपेन को पूरी तरह से फेल बताया।
प्रशासन ने नकारे अपराध पर NCRB के आंकड़े
पिछले चार साल में अपराधियों को लेकर जीरो टॉलरेंस नीति पर चल रही यूपी पुलिस ने औसतन हर 10वें दिन एक एनकाउंटर किया है। योगी सरकार में हुए 7791 एनकाउंटर में 16,661 अपराधियों की गिरफ्तारी हुई और 135 लोगों को मार गिराया गया है। हालांकि यूपी पुलिस पर फेक एनकाउंटर के आरोप लगते रहे हैं। इसके अलावा एनकाउंटर में मारे गए लोगों में 35% से ज्यादा मुस्लिम और 40% से ज्यादा दलित हैं। नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन ने भी अलग-अलग कई एनकाउंटर के मामलों में योगी सरकार को नोटिस भेजा है।

सरकार का दावा है कि चार सालों में लूट की घटनाओं में 66%, मर्डर की घटनाओं में 19%, रेप और यौन शोषण की घटनाओं में 45% कमी आई है। हालांकि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की ‘क्राइम इन इंडिया 2019’ रिपोर्ट कहती है कि साल 2016 में जहां कुल अपराध के 4,94,025 मामले दर्ज किए गए वहीं साल 2018 में 5,85,157 मामले दर्ज किए गए यानी अपराधों में करीब 11% का उछाल आया।
योगी सरकार ने पिछले 14 महीने में गैंगस्टर एक्ट के तहत 980 करोड़ रुपए की संपत्ति ध्वस्त की है। सरकार पर आरोप है कि धर्म, जाति और राजनीतिक पार्टी देखकर कार्रवाई की गई है। सीएम योगी का दावा है कि यूपी में पिछले चार साल में एक भी दंगा नहीं हुआ। जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने 11 दिसंबर 2018 को लोकसभा में बताया था कि 2017 में उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की कुल 195 घटनाएं हुई हैं। इस दौरान 44 लोगों की मौत हो गई और 542 लोग घायल हुए थे।
गन्ना मूल्य न बढ़ने पर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं किसान
गन्ना पेराई शुरू होने के तीन महीने बाद फरवरी में ऐलान किया गया कि गन्ना मूल्यों में कोई बढ़ोतरी नहीं की जा रही है। यह लगातार तीसरा साल है, जब गन्ना मूल्यों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। साल 2017 में योगी सरकार ने गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 10 रुपए बढ़ाए थे। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है, “गन्ना रेट के लिए किसान सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।”

सपा सरकार के पांच साल में 95 हजार करोड़ रुपए के भुगतान के आंकड़े हैं। योगी सरकार अपने चार सालों में ही 1.27 लाख करोड़ के भुगतान का दावा कर रही है, लेकिन किसान संगठन भुगतान को लेकर 25 सितंबर 2020 को प्रदेशव्यापी आंदोलन कर चुके हैं।
बता दें कि देश में गन्ने की खेती वाले कुल खेत का 51%, उत्पादन का 50% और चीनी उत्पादन का 38% उत्तर प्रदेश में है। देश की कुल 520 चीनी मिलों में से 119 अकेले उत्तर प्रदेश में हैं। पश्चिमी यूपी में 55 से ज्यादा चीनी मिलें हैं। विधानसभा चुनाव के वक्त योगी सरकार ने चीनी मिलों से 14 दिन के भीतर किसानों को भुगतान करने का वादा किया था, लेकिन यह पूरी तरह से नहीं हो सकता है।
गोवंश पर योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट में घपले के आरोप
2012 की पशुगणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 205.66 लाख गोवंश हैं। इसके अलावा अनुमान है कि 10-12 लाख निराश्रित गोवंश हैं। इसके लिए स्थायी या अस्थायी गोवंश आश्रम स्थल, वृहद गोसंरक्षण केंद्र, गोवंश वन्य विहार (बुंदेलखंड क्षेत्र में), पशु आश्रय गृह और मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना चलाई जा रही है। साथ ही प्रदेश में 523 पंजीकृत गोशालाएं भी चल रही हैं।

लेकिन इतनी कवायदों के बाद भी कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने तस्वीरों के साथ सीएम को पत्र लिखा था। उन्होंने कहा, ‘ललितपुर के सौजना से आई गौमाता के शवों की तस्वीरों को देखकर मन विचलित है। तस्वीरों से लग रहा है कि चारा-पानी न मिलने की वजह से ही मौतें हुईं।’
बरेली में मुख्यमंत्री योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर 15 करोड़ की लागत से 2018 में ‘कान्हा उपवन’ बना था। नवंबर 2019 में बरेली के महापौर उमेश गौतम ने लेटर लिखकर कहा कि पिछले 9 महीने में 600 से अधिक गायों की मौत हो चुकी है। ये भी कहा कि यहां 300 से ज्यादा गाय रखने की व्यवस्था नहीं है, लेकिन 600 गायों के रखे जाने का दावा किया जाता है। इसके अलावा अलग-अलग मौकों पर गोरक्षा के नाम पर हिंसा की खबरें भी आती रही हैं। इनमें अब तक योगी सरकार की ओर से दबंगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।