— वैज्ञानिकों के मुताबिक इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन के चार्ज संख्या में उतार-चढ़ाव से महसूस होता है इलेक्ट्रिक करंट
फकीरचंद भगत: पिछले कुछ दिनों से अगर आप किसी भी चीज को हाथ लगा रहे हैं तो अचानक उसमें करंट लगने जैसा महसूस हो रहा है। हालांकि यह सब के साथ ऐसा हो रहा है या नहीं लेकिन, ज्यादातर लोगों के साथ ऐसा सुनने को मिल रहा है। करंट लगने की पुष्टि करने हेतु जब न्यूज प्रतिनिधि द्वारा संबंधित पोस्ट को अपने सोशल मीडिया स्टेटस के माध्यम लोगों तक पहुंचाया गया तो सैकड़ों लोगों ने करंट लगने संबंधी रिप्लाई किया। करंट लगने के कारणों संबंधी अभी तक स्थाई पुष्टि तो नहीं हो पाई है। लेकिन, कई इंजीनियरिंग एवं इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के छात्र इसे 5G रेडिएशन के साथ जोड़ रहे हैं तो वहीं, कुछ लोग इसे बदलते मौसम का नाम दे रहे हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक ब्रह्मांड में मौजूद सभी वस्तुएं एटम्स यानी अणु से बनी हुई है और हर एटम में इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन और न्यूट्रॉन होते हैं। इन सबके पास अपना-अपना चार्ज होता है। प्रोटोन, न्यूक्लियस में होता है जो की एटम के केंद्र में स्थित है, इलेक्ट्रॉन न्यूक्लियस के आस-पास चक्कर मारता है। इलेक्ट्रॉन्स, निगेटिवली चार्ज, प्रोटॉन्स पॉजिटिवली चार्ज और न्यूट्रॉन्स न्यूट्रल होते हैं। यह तीनों चार्ज को फ्लो करवाने में विशेष मुख्य भूमिका निभाते है। एटम स्टेबल तब होता है, जब इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन हमेशा एक ही संख्या में हो। लेकिन, जब इनकी संख्या कम या ज्यादा हो जाती है तो एटम स्टेबल नहीं रह पता है। प्रोटोन और न्यूट्रॉन भले शांत स्वभाव के होते है मगर जब प्रोटोन और इलेक्ट्रॉन की संख्या एक सी नहीं होती है तो इलेक्ट्रॉन एक्साइट होने के कारण बाउंस करने लगते है और उन्ही के कारण हलचल होती है।अर्थात ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि जब किसी व्यक्ति या वस्तु में इलेक्ट्रॉन की संख्या बढ़ जाती है तो नेगेटिव चार्ज भी बढ़ जाता है। फिर ये इलेक्ट्रॉन किसी पॉजिटिव इलेक्ट्रॉन्स जो अन्य वस्तु या व्यक्ति में होंगे की और बढ़ने लगते हैं और इसी कारण करंट या बिजली का झटका महसूस होता है। यानी इन इलेक्ट्रॉनों की त्वरित गति का ही तो हल्का सा करंट महसूस होता है।
4-जी रेडिएशन के कारण नाममात्र ही रह गई चिड़िया-संचार सेवाओं को सुगम बनाने के लिए भले ही 4जी लाभदायक सिद्ध हुआ हो लेकिन, इसका दूसरा सबसेे बड़ा पशुु पक्षियों पर पड़ा है। बेहद हानिकारक तरंगों को पैदा करने वाली रेडिएशन का प्रभाव मानव जीवन पर भी पड़ा है। इसका दावा रूसी वैज्ञानिकों द्वारा भी किया जा चुका है। उनका मानना है कि 4-जी रेडिएशन के कारण पैदा होने वाली हानिकारक करने मानव इम्यूनिटी सिस्टम को कमजोर बना रही हैं। वहीं 5-जी लांच होने के बाद अब जेनरेशन मेंं रेडिएशन ओर भी घातक हो सकता है। परंतु इसका कारण 5G हो इसकी पुष्टि प्रथम न्यूज नहीं करता है।
बढ़ती रेडिएशन के कारण शारीरिक इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन का फ्लो हो रहा प्रभावित-दिन प्रतिदिन बढ़ती रेडिएशन का प्रभाव अब सीधे तौर पर मानवीय शरीर पर भी पढ़ रहा है। रेडिएशन के कारण ही शरीर में इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन का स्तर प्रभावित हो रहा है। यही कारण है कि हम किसी भी वस्तु को छू रहे हैं तो स्टेबिलिटी सही ढंग से न होने के कारण हम करंट महसूस कर रहे हैं।


