दीनानगर
सर्वहितकारी विद्या मंदिर बेगोवाल तारागढ़ में शहीद भगत सिंह,सुखदेव व राजगुरु को उनके बलिदान दिवस पर श्रद्धापूर्वक याद किया गया।महान क्रांतिकारियों को पूरे स्टाफ ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धासुमन भेंट किए।
उनके बारे में जानकारी देते हुए प्रधानाचार्य विक्रम सम्याल ने बताया कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव तीनों ने अपने प्रगतिशील और क्रांतिकारी विचारों से भारत के नौजवानों में स्वतंत्रता के प्रति ऐसी दीवानगी पैदा कर दी कि अंग्रेज सरकार को डर लगने लगा था कि कहीं उन्हें यह देश छोड़कर भागना न पड़ जाए। तीनों ने ब्रिटिश सरकार की नाक में इतना दम कर दिया था जिसके परिणामस्वरूप उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 24 मार्च 1931 को तीनों को एक साथ फांसी देने की सजा सुना दी गई। इनकी फांसी की बात सुनकर लोग इतने भड़क चुके थे कि उन्होंने भारी भीड़ के रूप में उस जेल को घेर लिया था।
अंग्रेज भयभीत थे कि कहीं विद्रोह न हो जाए। इसी को मद्देनजर रखते हुए उन्होंने एक दिन पहले यानी 23 मार्च 1931 की रात को ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी और चोरी-छिपे उनके शवों को जंगल में ले जाकर जला दिया। जब लोगों को इस बात का पता चला तो वे गुस्से में उधर भागे आए। अपनी जान बचाने और सबूत मिटाने के लिए अंग्रेजों ने उन वीरों की अधजली लाशों को बड़ी बेरहमी से नदी में फिकवा दिया। छोटी उम्र में आजादी के दीवाने तीनों युवा अपने देश पर कुर्बान हो गए। आज भी ये तीनों युवा पीढ़ी के आदर्श हैं।