योजना की जानकारी देते हुए डॉ. संजीव कुमार कृषि विषयवाद विषेषज्ञ, विकास खंड ऊना ने कहा कि राष्ट्रीय सतत खेती मिशन, खंड ऊना में वर्ष 2019-20 से आरंभ हुआ। इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग, मिट्टी स्वास्थ्य प्रबंधन को बढ़ावा देना, एकीकृत फसल प्रणाली व जल का उचित उपयोग करके कृषि क्षेत्र में उत्पादकता को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि इस योजना में कृषि विभाग के अलावा किसानों से जुड़े दूसरे विभाग जैसे उद्यान, पशुपालन, वन व मत्स्य विभाग भी बराबर के भागीदार हैं। कृषि विषयवाद विषेषज्ञ इस योजना के परियोजना कार्यान्वयन एजैंसी हैं। इन विभागों के माध्यम से चयनित पंचायत मलाहत व इस वर्ष शामिल साथ लगती पंचायतें मदनपुर, बसोली व अरनियाला का विकास किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि चालू खरीफ मौसम में पंचायत मलाहत, मदनपुर, बसौली के लगभग 508 किसानों की 2,632 कनाल भूमि पर मक्की फसल प्रणाली आधारित प्रर्दशन पलॉट 50 प्रतिशत अनुदान पर लगाए गए। केंचुआ खाद के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए किसानों को वर्मी कम्पोस्ट इकाई के निर्माण हेतु 50 प्रतिशत या 125 रूपये प्रति घन फुट जो भी कम हो की दर से सहायता दी जा रही है। अब तक पंचायत मलाहत में 29 किसानों के लिए 60 वर्मी कम्पोस्ट इकाइयों कुल 5400 घनफुट का निर्माण किया जा चुका है, जबकि 86 इकाईयों अभी निर्माणाधीन है। जल्द ही इनसे केंचुआ खाद का उत्पादन भी आरम्भ हो जाएगा। मिट्टी की उर्वरकता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि रसायनिक उर्वरकों, देसी खादों, हरी खादों व जैविक खादों का मिल-जुल कर प्रयोग किया जाए।
डॉ. संजीव ने किसानों से आग्रह किया कि वह क्षेत्र में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए इस योजना का लाभ उठाएं। इस अवसर पर कृषि विभाग के सहायक कृषि विकास अधिकारी डॉ. बलदेव शर्मा, कृषि प्रसार अधिकारी डॉ. राजा राम, डॉ. सुनीता शर्मा सहित राष्ट्रीय सतत खेती मिशन योजना के चेयरमैन गुरचरण सिंह, सदस्य केवल कृष्ण के अलावा पंचायत मलाहत, मदनपुर, बसौली, अरनियाला के पंचायत प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे