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संस्कृत के संरक्षण के साथ-साथ हमें संस्कृति का भी संरक्षण करना चाहिए :
डॉ रविंद्र ठाकुर
आजादी की 75वीं वर्ष गांठ के तहत आजादी का अमृत महोत्सव थीम पर करवाया कार्यक्रम
बिलासपुर, अरूण डोगरा रीतू:
भाषा एवं संस्कृति विभाग जिला कार्यालय बिलासपुर एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद बिलासपुर इकाई द्वारा घुमारवीं के पैलियो म्यूजियम में संस्कृत व हिंदी काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम आजादी की 75वीं वर्ष गांठ के तहत आजादी का अमृत महोत्सव थीम पर करवाया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त डीएसपी डॉ रविंद्र ठाकुर ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ प्रशांत आचार्य उपस्थित रहे। इस अवसर पर मंच संचालन वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार अरुण डोगरा रीतू ने किया। अखिल भारतीय साहित्य परिषद की बिलासपुर जिला अध्यक्ष डॉ अनेक राम संख्यान ने सभी साहित्यकारों का स्वागत किया। कार्यक्रम की शुरुआत संगीत के प्राध्यापक राजकुमार द्वारा गाई गई वंदना से हुई। उसके उपरांत संस्कृत में श्याम लाल शर्मा ने पत्र वाचन किया इस पत्र का विषय था हिमाचल के लोक नृत्य ऊपर नाट्यशास्त्र का प्रभाव। उन्होंने संस्कृत भाषा में बड़े ही बेहतर तरीके से इस बात को समझाया। कविताओं में संस्कृत और हिंदी की कविताओं का वाचन किया गया और गीत भी सुनाए गए। कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ रविंद्र ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है और इसके संरक्षण के साथ-साथ हमें संस्कृति का भी संरक्षण करना चाहिए उन्होंने कहा कि परिवारों में बच्चों को संस्कृति का ज्ञान करवाना बहुत आवश्यक है और उन्हें दादा दादी तथा नाना नानी के सानिध्य में पलने देना चाहिए और वर्तमान समय में आधुनिकता के चलते जो अन्य बाल गतिविधियां बंद हो गई है उन्हें फिर से चालू करना चाहिए इस अवसर पर घूम आर्मी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कार्यरत संगीत प्राध्यापक डॉ दिलवर कटवाल ने बिलासपुर के स्वाधीनता संग्राम का उल्लेख करते हुए बेहतर गीत सुनाया कार्यक्रम में भाग लेने वाले कवियों में विजय कुमारी सहगल, भीम सिंह नेगी, जगदीश शर्मा, मीना चंदेल, वीना वर्धन, इंदर सिंह चंदेल, श्याम लाल शर्मा, जमुना संख्यान, अनेक राम संख्यान, अरुण डोगरा रीतू, डॉ प्रशांत अचार्य के साथ अध्यक्ष डॉ रविंद्र ठाकुर ने भी अपनी कविता की प्रस्तुति दी।
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