Monday, May 12, 2025
भारतीय संस्कृति एवं राधा कृष्ण को रंगों में रंगती उज़्बेकिस्तान की पेंटर आर्टिस्ट नीलोफर यार्माटोवा
 चित्रकला हर देश की भाषा बोलती है

उज़्बेकिस्तान की पेंटर आर्टिस्ट नीलोफर यार्माटोवा
 चित्रकला हर देश की भाषा बोलती है

उसका आकर्षण बिना रंगभेद के सब को सम्मोहित करता है 

लेख प्रस्तुति : मुकेश डोलिया
पिहोवा 2 अप्रैल (मुकेश डोलिया) भारतीय संस्कृति बहुत विशाल और विभिन्न कलाओं से समृद्ध और परिपूर्ण है । देश के प्रत्येक राज्य के  रीति रिवाजों, त्योहारों,उत्सवों मेलों की विशेष परम्पराएं दुनिया में भारत हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा है । इसलिए पूरी दुनिया में हमारी पहचान पुरातन संस्कृति के नाम से प्रसिद्ध है इन से प्रभावित विदेशी सदा भारत भ्रमण का स्वपन लेते हैं और उसे पूरा करने की ख्वाइश भी रखते हैं। उज़्बेकिस्तान की मशहूर पेंटर आर्टिस्ट नीलोफर यार्माटोवा को अपने देश उज़्बेकिस्तान की संस्कृति से अथाह प्यार है। जिसे वह अपनी पेंटिंग के जरिए पूरी दुनिया में एक अलग पहचान बनाना चाहती एक सच्चे देश प्रेमी की ये एक पहचान भी है।  लेकिन भारत भ्रमण कर आई निलोफर भारतीय संस्कृति और यहां के रीति रिवाजों के पारंपरिक रंगीन पोशाक , त्योहारों के रंग अनायास उसको सम्मोहित करने लगे । वो कहती हैं  मुझे भारत की पुरातन ,लोक संस्कृति ,पारंपरिक पोशाक , क्लासिकल नृत्य और खूबसूरत रंगों से सराबोर उत्सव अपनी ओर सम्मोहित करते हैं। मुझे भारत मेरी आत्मा को आनंदित और सुकून प्रदान करता है। या यूँ कहे मैं भारत और भारतीयों की दीवानी हूँ । यहां के धार्मिक देवी देवताओं के सुंदर चरित्र उनके पहनावे उसके पेंटिंग ब्रश को कब मोहक रंगों ने चित्रों का सजीव रूप उकेरने लगे यह कोई चमत्कार से कम नहीं । जब नीलोफर राधा कृष्ण के उन रास के पलों को अपने ब्रुश और रंगों का कलात्मक आलिंगन करवाती है तो दर्शक भी मनमोहक छवि को देखकर आत्मविभोर हो उठते हैं।  राधा कृष्ण के प्रेम प्रसंग उन्हें भाव विभोर करते हैं ,उनकी सुंदरता, आलिंगन ,भाव ,स्पर्श मुस्कराहट अनायास सम्मोहित करती है। मेरे रंग और ब्रुश मुझे एक ऐसी कल्पना लोक में ले जाते हैं जहाँ चित्रित छवि मुझे भी सम्मोहित करती है।  वो कहती हैं कि चित्रकला हर देश की भाषा बोलती है उसका आकर्षण बिना रंगभेद के सब को सम्मोहित करता है ,रंगों का मनोविज्ञान और मानव व्यवहार पर गहरा प्रभाव पड़ता है. रंगों की गहराई , परफेक्ट मिश्रण किसी भी चित्र को आकर्षक एवं खूबसूरत बनाता है। उनका मानना है कि मैं लोगों को खुश करने के लिए अपनी आंतरिक भावनाओं को अपनी तस्वीरों के माध्यम से दिखाने की कोशिश करती हूं,अपने देश की खूबसुरती पूरी दुनिया को दिखाना चाहती हूँ। वह अपने अनूठे कार्यों से विदेशी पर्यटकों को अपने देश की प्राकृति सुंदरता दिखाने के लिए नई परियोजनाओं पर काम कर रहीं हैं। बचपन से कला के गुण, प्रशिक्षण चाहे खानदानी धरोहर के रूप में  मिले लेकिन उनका मूर्तिकला और कपड़ों की कशिदाकारी से अलग रंगों की दुनिया में ब्रुश से अपनी  कला के माध्यम से उज़्बेकिस्तान से निकल कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त करना उन्हें विश्व में एक अलग सम्मान से नवाज़ता है।  मेरा उद्देश्य भारत और उज्बेकिस्तान की पेंटिंग विधा को जोड़ने वाली दोस्ती को मज़बूत करना है।  मैं  लगभग 20 वर्षों से दृश्य और अनुप्रयुक्त कला के क्षेत्र में नित नई सृजन कर रही हूँ । या यूँ कहें की मैं पेंटिंग विधा की इतनी दीवानी हूँ की मैंने अपने ब्रुश के बाल कभी सूखने नहीं दिए कोई न कोई नई रचना के बारे में मेरे जहन में रंगों की संरचना का निर्माण होता रहता है। निलुफर ने बताया मुझे अपने देश की सुंदरता और संस्कृति दिखाने में आनंद मिलता है। मुझे उज़्बेकिस्तान की पेंटिंग कला को पूरी दुनिया को दिखाने में अपनी भूमिका निभाने पर गर्व है।नीलोफर अपनी उत्कृष्ट कला की विशेष पहचान से विदेशों में भी जानी जाती हैं। फ्रांस, यूएई, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्की, ईरान, रूस, भारत जैसे देशों में प्रदर्शनियां आयोजित कर चुकी हैं।अपने देश उज़्बेकिस्तान में नीलोफर यार्माटोवा एक सम्मानीय पहचान और देश की अहम् धरोहर हैं जिन्हे कईं राष्ट्रीय सम्मानों से नवाज़ा गया है।मेरे शिक्षक रुजी चोरीव कहा करते थे कला कभी पुरानी है होती ,वह हमेश युवा और ताज़ा होती है।  मैंने लगभग 100 युवाओं को पेंटिंग विधा का प्रशिक्षण और मार्गदर्शन किया है। युवाओं में सिखने की समझ काफी त्तीव्र होती है।  क्षेत्रीय प्रशासन के नामांकन ” द मोस्ट इनिशिएटिव  ऑर्गेनिजेशन “,” द मोस्ट एक्सेम्पलरी आर्टिसन वूमेन “,” द बेस्ट क्रिएटिव वूमेन ऑफ़ द  ईयर ” की विजेता बनी।  इसके इलावा Uzlidep द्वारा आयोजित बिज़नेस वूमन 2022 प्रतियोगिता के रिपब्लिकन चरण में उन्हें यंगियोल शहर के इतिहास की किताब में एक शिल्पकार के रूप में शामिल किया गया था। उन्होंने “सबसे दयालू व्यवसायी महिला” का नामांकन जीता था।  उज़्बेकिस्तान की सरकार हमेशा मेरी पेंटिंग विधा और नई परियोजनाओं के सहयोग के लिए सदा मेरा उत्साह वर्धन करती है। नीलोफर यार्माटोवा भारतीय संस्कृति की दीवानी अपने देश उज़्बेकिस्तान के मध्य पेंटिंग के माधयम से दोनों देशों में एक मज़बूत कड़ी का कार्य कर रही है। उसके लिए विदेशों में पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन हो या अपने देश उज़्बेकिस्तान में अपनी कला के माधयम से पर्यटन को बढ़ावा देने में गर्व महसूस करती है।
 लेख प्रस्तुति : मुकेश डोलिया

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