दुकान आवंटन के टैंडर का मामला माननीय कोर्ट में विचाराधीन होने के वावजूद आज टैंडर ओपन करना समज से परे – वोले वेरोजगार फार्मासिस्ट
कहा आरकेएस के नियमों को दरकिनार कर आनन फानन में टैंडर लगाने के पिछे कया है राज ?
शिमला (वीना पाठक )
सूवे का आयुर्वेद विभाग कभी दवा,कभी अन्य समान को खरीदने तो कभी पूर्व में कांगड़ा जिले के एक आयुर्वेद अस्पताल परिसर मे दुकान आवंटन का मामला हो या अन्य कोई भी मामला हो हमेशा चरचा में ही रहता आया है। अव पुनः यह विभाग सोलन के आयुर्वेद विभाग में दवा की दुकान के टैंडर में लगाए नियमों को लेकर चरचा में आ खड़ा हुआ है ।इन नियमों को लेकर मामला माननीय नयायालय में विचाराधीन है वावजूद उसके टैंडर को खोला जाना किसी वयक्ति विशेष को सीधे सीधे फायदा पहुचाने को ही इंगित कर रहा है ।
वताते चले की यह टैंडर सिर्फ और सिर्फ उनके लिए ही है जो कि पहले ही दवा की दुकान चला रहा हो , वेरोजगार फार्मासिस्ट तो ईसमें पारटिसिपेट ही नहीं कर सकता है , कारण ईस टैंडर में दर्शाई गई सव शर्तें टोडरमल के जमाने की ही लगतीं हैं ,जवकि उसके वाद कई वार ईतिहास , मैथ वदला गया पर यह टैंडर नहीं वदला गया।अस्पताल परिसर में दी जाने वाली ईस दवा की दुकान को लेकर वनाए गए टैंडर में आरकेएस के टैंडर को लेकर वनाए नियमों की भी सरेआम अनदेखी करने की हिमाक़त की गई हैं। शिक्षित वेरोजगार फार्मासिस्टों का कहना है कि सरकार को चाहिए की वह फारमैसी संस्थानों को वंद ही कर दें जव वो ऐसी दवा की दुकानों को लगाए जा रहें टैंडरों में ही भाग नहीं ले सकतें हैं ।
उनहोंने चेताया कि उनकी नहीं सुनी गई तो वह पूरे प्रदेश में संकेतिक धरना प्रदशन, भूख हड़ताल करने वारे मजवूर होना पडेगा ।संघ के प्रवक्ता ने कहा कि एक तरफ तो सरकार कहती है कि वेरोजगारों के हितों की अनदेखी नहीं की जाएगी उलटे अफसरशाही वेरोजगारों के हितों की अनदेखी कर रही है।
ईनका कहना है कि अफसरशाही ईमानदारी की वात करती है तो माननीय अदालत के फैसले तक टैंडर को न ओपन कर मिसाल पैदा कर सकती है ।
क्या कहते हैं सैक्रेटरी आयुर्वेद
मामला उनके धयान में आएगा तो ही कुछ वता सकेंगे , फिलहाल निदेशक आयुर्वेद ,उप निदेशक आयुर्वेद सै ही जानकारी ले सकते हो ।