Thursday, March 28, 2024

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जनता का पैसा उद्योगपतियों पर उड़ाकर बढ़ाई महंगाई, नमक के साथ रोटी खाने को मजबूर हुई जनता : राणा

विधायक राजेंद्र राणा ने मोदी सरकार पर कसा तंज, कहा : अच्छे दिनों की जगह जनता को याद आया पुराना समय
विवेक अग्रवाल, ऊना 18 जून(प्रथम न्यूज़): महंगाई को लेकर प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने मोदी सरकार को कटघरे में लेते हुए कहा है कि चंद चहेते उद्योगपतियों के अरबों रूपए के ऋण माफ कर उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए सरकार ने जनता के पैसे का दुरुपयोग किया और अब हर चीज पर टैक्स बढ़ाकर जनता से ही उस धनराशि की वसूली की जा रही है। जनता को बदले में महंगाई ही मिली है, जबकि सरकार चुनाव के समय चंद उद्योगपतियों से मिली मदद का कर्ज उतारने में लगी हुई है। जारी प्रैस विज्ञप्ति में विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि भाजपा अच्छे दिन आने का ढिंढोरा पीटती थी, लेकिन जनता को अच्छे दिनों की जगह पुराना समय जरूर दोबारा याद आ गया है‌, जब गरीब तबका नमक के साथ रोटी बड़े चाव से खाता था और अब मजबूरीवश रोटी के साथ नमक निगल रहा है‌। उन्होंने कहा कि रसोई गैस, सरसों का तेल से लेकर प्रत्येक खाद्य वस्तु के दाम आसमान छू रहे हैं, जिस कारण लोगों को अपना खानपान बदलना पड़ रहा है। पैट्रैल-डीजल के दाम हर रोज बढ़ाए जा रहे हैं, लेकिन भाजपा के नेता व उनके अंधभक्त भी सरकार को कुछ कहने की बजाय जनता को ही कोसने में लगे हुए हैं। उन्होंने याद दिलाया कि यह वही भाजपा नेता व उनके अंधभक्त हैं जोकि पूर्व यू.पी.ए. सरकार में महंगाई के खिलाफ बिना मतलब के प्रदर्शन करने से गुरेज नहीं करते थे और मातम मनाते थे। उन्होंने कहा कि आजादी से पहले भी भाजपा विचारधारा के लोग ब्रिटिश हुकूमत के प्यादे होते थे और अब उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए जनता को लूट रहे हैं। फर्क केवल इतना है कि अब आजाद देश में अंग्रेजों की जगह अपने ही लूट-घसीट कर दमनकारी नीतियां बना रहे हैं, ताकि सरकार के खिलाफ कोई अपनी बात न रख पाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश व केंद्र में भाजपा नेता वर्षों तक राज करने की शेखी बघारते फिरते हैं, जबकि जनता द्वारा चुनी सरकार राज करने के लिए नहीं, अपितु जनता का दुख-दर्द बांटने के लिए चुनी जाती है। फिर भी अगर भाजपा राज करने में ही शान समझती है तो उन्हें याद रखना चाहिए कि राजा अपनी प्रजा को सुखी एवं समृद्ध जीवन देने के लिए बनाया जाता है, न कि उन्हें परेशान और उनका दमन करने को। ऐसे असफल राजा को स्वयं ही गद्दी छोड़कर अपनी जनता से माफी मांगनी चाहेगी ।

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