हिमाचल प्रदेश में सेब का करीब 4000 करोड़ का कारोबार है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पहले जहां एक हैक्टेयर में 7 से 10 टन की सेब पैदावार होती थी, वहीं हाईडेंसिटी प्लांटेशन और लो चीलिंग वैरायटी आने से यह पैदावार बढ़कर 40 से 42 टन प्रति हैक्टेयर हो गई है।
डॉ. कौशल ने कहा कि सेब के अलावा गुठलीदार फलों, आम, लीची, खुरमानी, पलम, आड़ू,अखरोट समेत अन्य पौधों को तैयार करने पर भी जोर दिया जा रहा है ताकि बागबानों को कम कीमत पर उन्नत किस्म के पौधे मिल सकें। साथ ही सब्जियों के बीज तैयार करने पर भी बल दिया जा रहा है।
डॉ. कौशल ने बताया कि यूनिवर्सिटी में कोरोनाकाल में भी निरंतर कार्य चलता रहा । उन्होंने कहा कि बच्चों को ऑनलाइन टीचिंग दी गई। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी ने समय पर सभी बच्चों का सिलेबस पूरा किया और परीक्षाएं करवाई, ताकि छात्रों को परेशानी न हो। साथ ही इस दौरान टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ की पदोन्नति दी गई। उन्होंने बताया कि 178 नॉन टीचिंग और 55 टीचिंग स्टाफ को पदोन्नति मिली। इसके अलावा तीन वट्सएप ग्रुप बनाकर प्रगतिशील किसानों को जानकारी दी गई। साथ ही 60 वीडियो भी बागबानों के लिए बनाए कर यू ट्यूब पर डाले गए। इस मौके निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ. देविंद्र कुमार गुप्ता, निदेशक विस्तार रविंद्र शर्मा, पीआरओ सुचेत अत्रि भी मौजूद रहे।