पंजाब प्रेस क्लब के प्रधान लखविंदर जोहल ने जम कर नियम-कानून की धज्जियां उड़ाई, नियमों को ताक पर रख कर धक्केशाही कर सतनाम मानक को प्रधान किया घोषित – राजेश थापा
जालंधर ( शिव कुमार) – यूं तो प्रेस यानि मीडिया को देश का चौथा स्तम्ब माना जाता हैं और जहा सबसे ज्यादा लोकतंत्र की बाते होती हैं, अगर लोकतंत्र की बात की जाये तो आम लोगों का भरोसा सिर्फ और सिर्फ मीडिया पर ही रहता हैं। लोकतंत्र और निश्पक्ष्य के लिए जाना जाने वाला मीडिया आज खुद अपने अनोखे कारनामे के कारण महानगर में बदनाम होता हुआ नजर आ रहा हैं जो तमाम मीडिया जगत के लिए सही नहीं हैं। अगर मीडिया भी राजनीती की भांति जबरदस्ती फैसले थोपने लगे तो आवाम किस पर भरोषा करें ? सुना था मीडिया ही एक जगह बचा हुआ हैं जहा राजनीती नहीं होती पर जो हालात पैदा हुआ हैं , मीडिया भी राजनीती से अछूता नहीं हैं बल्कि यह कहा जा सकता हैं कि सबसे ज्यादा राजनीती शायद मीडिया में ही पनप रहा हैं। बता दें कि जालंधर एक शहर ही नहीं यह महानगर हैं जहा सबसे ज्यादा मीडिया का बोलबाला रहा हैं और हैं भी। लेकिन अब हालात ऐसे बनने लगे है कि जालंधर की मीडिया पूरी तरह राजनीती से ओतपोत हैं जिसके चलते मीडिया दोफाड़ होती हुई नजर आ रही है। शनिवार को रैडक्रॉस भवन पंजाब प्रैस कल्ब की प्रधानगी को लेकर सभी पत्रकार इकट्ठे हुए। बैठक में पंजाब प्रेस क्लब के प्रधान लखविंदर जोहल ने जम कर नियम-कानून की धज्जियां उड़ाई। प्रधान ने नियमों को ताक पर रख कर धक्केशाही कर सतनाम मानक को प्रधान घोषित किया । जिस सम्बन्धी आधिकारिक रूप से प्रेस रिलीज भी जारी किया गया। बता दे कि बैठक में जैसे ही सतनाम मानक का नाम प्रधान के पद पर घोषित किया गया, उसके बाद सभी को हाथ उठाने के लिए कहा गया, अभी यह प्रक्रिया शुरु भी नही हुई थी कि सतनाम मानक को प्रधान घोषित कर दिया गया। पत्रकारों ने इस बात का जमकर विरोध किया और नारेबाजी करनी शुुरु कर दी। पंजाब प्रैस क्लब के प्रधान का स्वागत धक्केशाही, मुर्दाबाद और शेम-शेम के नारों के साथ किया गया। लगभग सभी पत्रकारों का आरोप था कि पंजाब प्रैस क्लब में पहली बार जबरदस्ती किसी को प्रधान बनाया जा रहा है। प्रधान पद के लिए इस बार वोटिंग भी नही करवाई गई। लंबे समय तक नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन चलता रहा। पंजाब प्रैस क्लब के प्रधान की कुर्सी को लेकर ऐसा पहले कम ही देखने को मिला है।
प्रधानगी की नियुक्ति को लेकर जबरदस्त विरोध चल रहा था कि अब इस विवाद ने नया मोड़ ले लिया हैं । भारी विरोध करने वाले राजेश थापा, रमेश गाबा, विकास मौदगिल आदि पत्रकारों ने जिले के डिप्टी कमिश्नर को शिकायत दर्ज करवाई है और मांग की है कि प्रधानगी के चुनाव के दौरान हुई वीडियोग्राफी मंगवा कर देख कर उचित कार्यवाही करते हुए प्रधानगी के चुनाव को रद्द किया जाए और बाकायदा मतदान करवा कर चुनाव करवाएं जाएं। इस शिकायत में राजेश थापा सहित अन्य पत्रकारों ने बताया कि प्रधान लखविंदर जोहल ने नियमो को ताक पर रख कर बिना पुरानी कमेटी भंग किए व बिना आब्जर्वर नियुक्त किए, सर्वसम्मति की बात का प्रस्ताव रख कर नए प्रधान का नाम सबके सामने रखा लेकिन स्टेज पर पुरानी कमेटी के सामने ही विरोध में शायद हाथ उठवाना और हक में खड़े हुए हाथों की गिनती करना भूल गए। थापा ने कहा कि यही गलती लखविंदर जोहल को भविष्य में भारी पड़ सकती है और सतनाम मानक पत्रकारों के इतिहास में शायद ही पहले प्रधान होंगे जिन्हें जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा। सतनाम मानक की वरिष्ठता के चलते भी सैंकड़ो पत्रकार उनकी प्रधानगी को लेकर सहमत नही है। इस सारे विवाद में अगर समीकरण देखा जाएं तो बड़ा सवाल उभर कर सामने आया है कि बड़ी अखबारों व मीडिया हाउस से सम्बंधित कई बड़े पत्रकार आखिरकार इस एजीएम से क्यों नदारद रहे। 506 चयनित सदस्यों में वरिष्ठ सदस्य जो सच मे फील्ड में पत्रकारिता करते आम तौर पर देखें जा सकते है, वह इस एजीएम से नदारद रहे लेकिन जो लोग अवैध रूप से क्लब के सदस्य बनाए गए जिनका पत्रकारिता से कोई सम्बन्ध नही वह इसमें मौजूद रहे। इस सम्बंध में जल्द माननीय अदालत में एक याचिका दायर की जा रही है जिसमे उक्त सदस्यों की भारत सरकार से ली गई एनओसी चैलेंज की जाएगी। भारी विरोध को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इस बार पंजाब प्रैस क्लब की कुर्सी को लेकर महानगर की मीडिया दोफाड़ होती हुई नजर आ रही हैं जो मीडिया जगत के लिए चिंता का विषय हैं।